अब मौसम को कंट्रोल करेंगे भारत के साइंटिस्ट, स्विच ऑन पर बारिश, और ऑफ पर रुकेगी बारिश
नई दिल्ली: भारतीय मौसम वैज्ञानिकों ने बारिश को लेकर खुशखबरी दी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक वो अगले 5 सालों में इतने एक्सपर्ट हो जाएंगे कि वो बारिश, बिजली और ओलों की बारिश पर नियंत्रण कर लेंगे। जैसे- स्वतंत्रता दिवस समारोह या कोई और आयोजन के वक्त बारिश नहीं हो, यह अब अपने हाथ में होगा। जब बारिश की जरूरत हो तो बूंदें बरसने लगें, इस पर भी अपना नियंत्रण होगा। इसी तरह, बाढ़ के दौरान शहरों में बारिश या ओलावृष्टि को रोका जा सकता है। देश के मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगले पांच सालों में उनके पास इतनी विशेषज्ञता होगी कि वे न केवल बारिश को बढ़ा सकेंगे, बल्कि कुछ इलाकों में ओलों और बिजली के साथ-साथ बारिश को भी रोक सकेंगे। इस मिशन का उद्देश्य भारत को क्लाइमेट स्मार्ट और वेदर रेडी बनाना है ताकि बादल फटने सहित किसी भी मौसम की घटना को अनदेखा न किया जा सके। इसके साथ ही चैटजीपीटी के आधार पर मौसमजीपीटी भी बनाया जाएगा जो यूजर्स को मौसम की जानकारी अलग-अलग फॉर्मेट में झटपट उपलब्ध कराएगी।
मोदी सरकार का मिशन मौसम
दरअसल, देश अब क्लाइमेट चेंज की वजह से बारिश के पैटर्न में होने वाले बदलावों से निपटने के लिए तैयार हो रहा है। मिशन मौसम से 2026 तक तैयारियां पूरी हो जाएंगी। इसके बाद इसका दूसरा चरण शुरू होगा। नरेंद्र मोदी सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने इस मिशन का जिम्मा लिया है। पहले चरण में क्लाउड चैंबर बनाकर बादलों पर कई तरह के शोध होंगे। इसमें बादलों से होने वाली बारिश को कम करवाने की तैयारी के साथ ज्यादा बारिश वाले बादलों को ऐसे एरिया की तरफ भेजने की कोशिश होगी जहां सूखे या कम बारिश की स्थिति है। इतना ही नहीं पूर्वानुमान को बेहतर करने के लिए देश में 2026 तक रेडार की संख्या 100 तक कर दी जाएगी।
अभी देश में 39 रेडार का नेटवर्क है। मिशन मौसम के तहत 2026 तक इसे बढ़ाकर 100 रेडार किए जाने हैं। 25 रेडार के ऑर्डर दिए जा चुके हैं और 20 के जल्द दे दिए जाएंगे। रेडार के साथ विंड प्रोफाइलर का नेटवर्क भी बढ़ाया जाएगा।
क्लाउड चैंबर में बादलों पर रिसर्च
मंत्रालय के सेक्रेटरी डॉ. एम रविचंद्रन ने बताया कि आईआईटीएम पुणे में इसके तहत एक क्लाउड चैंबर बनाया जाएगा। यहां बादलों पर रिसर्च होगी। इसमें बादलों पर कई तरह के प्रयोग किए जाएंगे। अधिकारी के अनुसार, बादल का बेस आमतौर पर धरती की सतह से एक से डेढ़ किलोमीटर दूर तक होगा। लेकिन इनकी उंचाई 12 से 13 किलोमीटर तक की हो सकती है। इसलिए मिशन मौसम के तहत उंचाई पर हो रहे बदलावों के लिए देश को तैयार किया जा रहा है। इसमें नमी, हवाओं की गति और तापमान का आकलन होगा। बादलों के घनत्व को कम करने के लिए, अधिक बारिश वाले बादलों को ऐसे इलाकों की तरफ भेजने की कोशिश होगी जहां बारिश कम हो रही है।
बादलों को शिफ्ट करने पर होगा शोध
अधिकारी ने बताया कि देश में अभी मॉनसूनी सीजन और पूरे साल में सामान्य बारिश ही हो रही है, लेकिन उसके पैटर्न में बदलाव आया है। इसी पैटर्न को समझने और इससे निपटने की तैयारी है। इसके दूसरे चरण में बादलों से बिजली की समस्या से निपटने की तैयारी भी होगी। इसमें बादलों से जमीन में गिरने वाली बिजली को बादल से बादल पर शिफ्ट करने पर शोध होंगे। अभी बिजली गिरने की वजह से देश में काफी नुकसान हो रहा है। इससे धुंध की समस्या से निपटने पर भी दूसरे चरण में रिसर्च होगी।
सरकार ने कर दी फंड की घोषणा
राजीवन ने कहा, ‘मेरे विचार से हमें मौसम संशोधन में शोध करना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए हमें निवेश की आवश्यकता है।’ सरकार ने चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए एक अधिक मजबूत पूर्वानुमान प्रणाली बनाने के लिए मिशन मौसम के लिए दो वर्षों में 2,000 करोड़ रुपये की शुरुआती मंजूरी दी है। बाद में इसके लिए और अधिक फंड आवंटित की जाएगी। मिशन के महत्वपूर्ण तत्वों में एडवांस सेंसर और हाई परफॉर्मिंग सुपरकंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार और सैटलाइट सिस्टम्स की तैनाती, बेहतर अर्थ सिस्टम मॉडल का विकास और वास्तविक समय के डेटा प्रसार के लिए जीआईएस-आधारित ऑटोमेटेड डिसिजन सपॉर्ट सिस्टम शामिल है। आईआईटीएम पुणे में एक क्लाउड चैंबर बनाया जाएगा जहां बादलों पर रिसर्च होगी। बादलों के घनत्व को कम करने के लिए, अधिक बारिश वाले बादलों को ऐसे इलाकों की तरफ भेजने की कोशिश होगी जहां बारिश कम हो रही है।
मौसम GPT से मिलेगी सटीक जानकारी
मिशन मौसम के तहत मौसमजीपीटी की शुरुआत होगी। एआई पर आधारित इस ऐप के जरिए आप लोग मौसम से जुड़ी जानकारी ले सकेंगे। मसलन किसी व्यक्ति को दिल्ली से मुंबई जाना है और फ्लाइट में जाना है। वह इस ऐप पर जान सकता है कि मुंबई में अगले छह घंटे का मौसम कैसा रहने वाला है? दिल्ली के एयरपोर्ट पर मौसम कैसा है? देश ही नहीं विदेश के मौसम की जानकारी भी यहां मिलेगी। वहीं, किसानों के लिए इसके तहत एक आसान नंबर जारी किया जाएगा। उसे डायल कर किसान अपने एरिया के मौसम का पूर्वानुमान ले सकेंगे। यह जानकारी एसएमएस के जरिए मिलेगी। ताकि जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है उन्हें भी यह जानकारी मिल सके।
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